रंगभूमि--मुंशी प्रेमचंद

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सोफ़िया ने दीन भाव से कहा-मैं भी चली जाऊँगी। प्रभु सेवक-आज तुम बहुत उदास मालूम होती हो। सोफ़िया की आँखें अश्रुपूर्ण हो गईं। बोली-हाँ प्रभु, आज मैं बहुत उदास हूँ। आज ...

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